Independence Day 2025: सियासत के जितने बड़े खिलाड़ी मोहम्मद अली जिन्ना थे, रुपयों को लेकर भी उनका दिमाग उतना ही तेज था. भारत के कई शेयरों में उनका इन्वेस्टमेंट था. जब बंटवारा मुहाने पर था उस वक्त भी जिन्ना देश में कमाई के मौके खोज रहे थे. आजादी के बिल्कुल पहले उन्होंने एयर इंडिया के शेयर खरीदे थे. जब देश का बंटवारा हो रहा था, उससे पहले जिन्ना ने अपने ज्यादातर पैसे पाकिस्तान ट्रांसफर कर लिए थे. उस वक्त मुंबई में जिन्ना का समंदर किनारे एक घर था, जिसे वे बेचना चाहते थे, उस वक्त उसकी कीमत पांच लाख रुपये थी. चलिए जानें कि जिन्ना के पास मौत से पहले कितना पैसा था.
जिन्ना को था पैसे का चस्का
जिन्ना को पैसा कमाने का बहुत चस्का था. वे हमेशा इन्वेस्टमेंट के बारे में सोचते थे. जिन्ना अपने जमाने के दिग्गज वकीलों में से एक थे. उस वक्त उनकी फीस भी बहुत ज्यादा होती थी. जिन्ना ने लंदन से वकालत की पढ़ाई थी, इसलिए अंग्रेज भी जिन्ना की वकालत का लोहा मानते थे. इन्वेस्टमेंट और संपत्ति के मामले में भी जिन्ना की बड़ी दिसचस्पी हुआ करती थी. उस वक्त बड़े-बड़े बिजनेसमैन उनके दोस्त होते थे. भारत-पाक बंटवारे के वक्त जिन्ना ने एयर इंडिया के 500 शेयर खरीदे थे.
बंटवारे के वक्त जिन्ना के पास कितने थे पैसे
हालांकि उन शेयरों का क्या हुआ, इस बात का पता नहीं चल पाया है, लेकिन वे इन शेयरों को नहीं बेच पाए थे, क्योंकि उनको इसका मौका नहीं मिला था. फिर जब जिन्ना पाकिस्तान चले गए तो उनकी व्यस्तता और बढ़ गई थी, इसके कुछ वक्त के बाद उनकी मौत हो गई थी. तब उनकी सारी संपत्ति उनकी बहन फातिमा को ट्रांसफर कर दी गई थी. बंटवारे के वक्त जिन्ना ने अपने ज्यादातर पैसे ट्रांसफर कर लिए थे, उसमें करीब आठ लाख रुपये के आसपास थे, उस जमाने में यह रकम बहुत बड़ी हुआ करती थी.
मौत के वक्त जिन्ना के पास कितनी थी संपत्ति
मोहम्मद अली जिन्ना की मौत के वक्त उनकी कितनी संपत्ति थी, इस बात का तो सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है. लेकिन कुछ स्रोतों की मानें तो यह लगभग 50 मिलियन डॉलर के आसपास था. लेकिन यहां पर यह ध्यान रखना जरुरी है कि यह राशि उनके जीवन के अंत में थी, और इसमें उनके मेडिकल बिल और रिटायरमेंट के बाद के खर्चों को भी शामिल किया गया था. जिन्ना की संपत्ति में मुख्य रूप से कानूनी पेशे से अर्जित संपत्ति और अचल संपत्ति शामिल है. मौत के बाद उनकी संपत्ति का कुछ हिस्सा परिवार को विरासत में मिला था, जबकि कुछ हिस्सा पाकिस्तान सरकार के पास चला गया था.