धमतरी/ 06 जुलाई कलेक्टर अबिनाश मिश्रा की पहल पर धमतरी जिले के मगरलोड विकासखंड का मॉडल गांव करेली छोटी अब ग्रामीण विकास का एक नया उदाहरण बनने जा रहा है। स्वामित्व योजना के अंतर्गत आबादी सर्वेक्षण के बाद अब ग्रामीणों को अधिकार अभिलेख (पट्टा) वितरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके साथ ही गांव में रोजगारमूलक योजनाओं और मूलभूत सुविधाओं को गति देने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
गांव की अनूठी विशेषता: भिलाई की तर्ज पर सेक्टर सिस्टम
करेली छोटी गांव की सबसे बड़ी विशेषता इसकी योजना बद्ध बसाहट है, जो 1952 में मालगुजार दाऊ पवन कल्याण की दूरदर्शिता से अस्तित्व में आई थी।
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36 एकड़ भूमि पर पुनः बसाहट
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भोपाल से इंजीनियर बुलाकर मास्टर प्लान तैयार
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40 फीट चौड़ी सड़कें, 20 फीट की नालियां, स्कूल, राशन दुकान, खेल मैदान और श्मशान तक की सुव्यवस्था
यह गांव भिलाई के सेक्टर मॉडल की तरह ही सुनियोजित और सुव्यवस्थित है।
अनुशासित सामाजिक ढांचा: अपराध दर शून्य
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गांव में हर परिवार को बेटों के अनुसार प्लॉट आबंटन
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स्थानीय समिति के निर्णय सर्वोपरि, आज तक थाने में एक भी एफआईआर नहीं
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समिति के पास ₹36 लाख से अधिक की निधि, जिससे गांव के विकास और आपात जरूरतों को पूरा किया जाता है
रोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर कदम
कलेक्टर मिश्रा ने करेली छोटी को आत्मनिर्भर ग्राम बनाने की दिशा में भी योजनाएं घोषित की हैं।
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गांव में छोटे उद्योगों की स्थापना, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा
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प्रशिक्षण, महिला समूहों को जोड़ने, और विपणन सहयोग की योजना
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सड़क, बिजली, पानी, और ड्रेनेज जैसी सुविधाओं का और विस्तार होगा
कलेक्टर मिश्रा का दृष्टिकोण:
“करेली छोटी केवल एक गांव नहीं, बल्कि एक मॉडल है जिसे पूरे छत्तीसगढ़ और देशभर में ग्रामीण पुनर्रचना के आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।”
निष्कर्ष:
करेली छोटी गांव अब सिर्फ इतिहास की मिसाल नहीं, बल्कि आधुनिक योजनाओं से सुसज्जित, सामाजिक अनुशासन और रोजगार के अवसरों से भरपूर एक आदर्श ग्राम पंचायत बनकर उभर रहा है। इस प्रयास से धमतरी जिले को ग्राम विकास के राष्ट्रीय मानचित्र पर नई पहचान मिलेगी।