दुनिया में पहली बार किसने किया था जैविक हथियारों का प्रयोग, किस देश के पास हैं सबसे ज्यादा बायोलॉजिकल वेपन्स?

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साइंस इतना आगे बढ़ चुका है और तरक्की कर चुका है कि हर तरीके के हथियार बनाए जा रहे हैं और दुश्मनों का खात्मा किया जा रहा है. जैविक हथियार, मनुष्यों या फिर किसी जानवर को नुकसान पहुंचाने के लिए या फिर रोग पैदा करने वाले जीवों या फिर जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं. ये हथियार घातक और अत्यधिक संक्रमित हो सकते हैं. एक बार फैलने ते बाद इसको कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता है और ये युद्ध क्षेत्र के बाहर भी आम जनता को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं. जैविक हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए 1972 में जैविक हथियार सम्मेलन (BWC) स्थापित किया गया था. चलिए जान लेते हैं कि जैविक हथियार का पहली बार इस्तेमाल कब किया गया था और किस देश के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं.

 

 

पहली बार कब हुआ था जैविक हथियार का इस्तेमाल

दुनिया में पहली बार जैविक हथियारों का इस्तेमाल 14वीं शताब्दी में हुआ था. उस वक्त तातार सेना ने कफा (वर्तमान में क्रीमिया) को घरने के दौरान प्लेग से पीड़ित लोगों के शव को शहर की दीवारों के ऊपर फेंक दिया था. यह एक शुरुआती उदाहरण था, हालांकि आधुनिक समय में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी द्वारा जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था. लेकिन वे अपेक्षाकृत छोटे पैमाने पर थे. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनी ने एंथ्रेक्स और ग्लैंडर्स जैसे जैविक हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए गुप्त अभियान चलाया गया था. हालांकि ये प्रयास अपेक्षाकृत छोटे पैमाने पर थे और बहुत सफल नहीं रहे.

किन देशों के पास हैं जैविक हथियार

सेंट पीटर्सबर्ग में प्लेग फैलाने की कोशिश की गई थी. जापान ने टाइफाइड वाले वायरस को सोवियत की जल आपूर्ति वाले पाइपों में मिला दिया था.ये पहला युद्ध था, जब दोनों पक्षों ने जैव हथियारों का इस्तेमाल किया था. विश्व युद्ध में जैविक हथियाकों के इस्तेमाल के बाद अधिकांश देश इस पर रोक लगाना चाहते थे. इसके लिए जिनेवा प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे.

कौन सा देश लगातार बढ़ा रहा हथियार

भारत ने कभी भी इस तरीके के जैविक हथियार विकसित नहीं किए हैं. इनको विकसित करने वाले देशों में जर्मनी, अमेरिका, रूस और चीन समेत 17 देश शामिल होते हैं. चीन पर भी कोरोना कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगा है. कहा जाता है कि उसने कोविड वायरस को दुनिया में फैलाया है. लेकिन आज तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है. पेंटागन रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन लगातार अपने बायोलॉजिकल हथियार पर काम कर रहा है.

 

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