रायपुर/ 5 अगस्त एमएमआई नारायणा अस्पताल, रायपुर में एक अभूतपूर्व चिकित्सा प्रयास में सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुनील गौनियाल और उनकी टीम ने 48 वर्षीय महिला की जान बचाई, जो हार्ट अटैक के बाद कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो गई थीं। यह दुर्लभ और अत्यंत जटिल मामला चिकित्सा क्षेत्र में साहस, कौशल और टीमवर्क का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है।
महिला को सीने में दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल लाया गया था और शुरुआती जांच में तीव्र हार्ट अटैक की पुष्टि हुई। उपचार शुरू होने से पहले ही उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ, जिससे उनकी धड़कन बंद हो गई। तत्काल CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) शुरू किया गया, जो 30 मिनट तक जारी रहा – लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉ. गौनियाल और टीम ने साहसी निर्णय लेते हुए CPR के साथ ही रोगी को कैथ लैब में ले जाकर आपातकालीन एंजियोप्लास्टी करने का फैसला किया। यह एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया थी, क्योंकि CPR के दौरान एंजियोप्लास्टी करना सामान्य प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं होता और इसमें उच्च स्तर के तालमेल और तकनीकी दक्षता की आवश्यकता होती है।
चमत्कारिक रूप से, अवरुद्ध धमनी को खोलने के कुछ ही मिनटों में महिला की धड़कन लौट आई। ICU में शिफ्ट करने के दो घंटे के भीतर उन्हें होश आ गया और अगले दिन वेंटिलेटर से हटा दिया गया। महज पांच दिनों में उन्हें स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई – बिना किसी अंग को नुकसान पहुंचे।
डॉ. गौनियाल ने कहा, “यह हमारे करियर का सबसे जटिल मामला था। इस सफलता का श्रेय हमारी ER, Cath Lab और एनेस्थीसिया टीमों के जबरदस्त समन्वय को जाता है।” उन्होंने विशेष रूप से डॉ. राकेश चाँद (HOD, एनेस्थेसियोलॉजी), डॉ. धर्मेश लाड और डॉ. अजीतेश रॉय का उल्लेख करते हुए उनके सहयोग को निर्णायक बताया।
अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर अजित बेल्लमकोंडा ने कहा, “एमएमआई नारायणा अस्पताल रायपुर में cardiac emergencies के लिए क्षेत्र का प्रमुख केंद्र है, जहाँ 24×7 कैथ लैब और अनुभवी विशेषज्ञों की टीम मौजूद है।”
यह केस न केवल चिकित्सा क्षेत्र की क्षमताओं को दर्शाता है, बल्कि इस बात पर भी ज़ोर देता है कि हृदय संबंधी लक्षणों को समय रहते पहचानना, PCI-सक्षम अस्पताल पहुँचना और एक संगठित आपातकालीन प्रणाली कितना बड़ा अंतर पैदा कर सकती है।