पाकिस्तान से बलूचिस्तान ने खुद को अलग कर लिया है. बलूचिस्तान का कहना है कि वो एक अलग देश हैं. कुछ बलूच नेताओं ने बलूचिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया है. बलूच नेताओं ने देश की आजादी की घोषणा करते हुए बलूचिस्तान के लिए अलग झंडे का भी अनावरण कर दिया है. यूनाइटेड नेशन के साथ-साथ बलूचिस्तान ने भारत से भी उसे अलग देश के तौर पर मान्यता देने के लिए अपील की है. दरअसल बलोच लंबे वक्त से आजादी के लिए जंग लड़ रहा है और उनके सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों को पाक के क्रूर शासन सत्ता में अपनी जान गंवानी पड़ी. ऐसे में यहां यह जानना जरूरी है कि भारत किन देशों को मान्यता नहीं देता है.
अब्काजिया को भारत ने नहीं दी मान्यता
भारत जिन देशों को मान्यता नहीं देता है उसमें अब्काजिया का नाम शामिल है. वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ के कई सदस्य देश उसे जार्जिया का हिस्सा मानते हैं. जबकि 80 के दशक में अब्काजिया ने खुद को अलग देश घोषित कर दिया था. इसी तरह कोसोवो ने भी 17 फरवरी 2008 को खुद को सर्बिया से अलग कर लिया था. कोसोवो संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य देश है लेकिन भारत उसे मान्यता नहीं देता है. साउथ ओसेतिया भी जार्जिया का विवादित क्षेत्र है, उसने 1991 में खुद को अलग किया था. संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ-साथ भारत भी उसे मान्यता नहीं देता है.
रिपब्लिक ऑफ चाइना भी इसी लिस्ट में
इसी तरह से अरब देश के सहरावी रिपब्लिक को भारत ने 1985 से लेकर 2000 तक मान्यता दी थी, लेकिन फिर भारत ने उसकी मान्यता खत्म कर दी है. 90 के दशक के बाद से भारत और ताइवान के बीच रिश्ते बेहतर हो रहे हैं. दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध तो हैं लेकिन राजनयिक संबंध नहीं हैं. भारत रिपब्लिक ऑफ चाइना यानि ताइवान को मान्यता नहीं देता है, बल्कि वो चीन को मान्यता देता है. लेकिन 1947 और 1950 में भारत ने इसे जरूर मान्यता दी थी.
सोमालीलैंड को भी नहीं मिली मान्यता
1991 ने सोमालीलैंड में खुद को सोमालिया से अलग देश घोषित कर दिया था. लेकिन अभी तक किसी ने भी उसे मान्यता नहीं दी है. लेकिन दुनिया के कई देश उसके पासपोर्ट स्वीकार करके हैं, लेकिन भारत इस देश को मान्यता नहीं देता है. किसी भी नए देश को मान्यता देने के लिए सर्टिफिकेट नहीं बल्कि 1933 के मोंटेवीडियो कन्वेंशन के मुताबिक कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी होता है. इसके बाद ही मान्यता मिलती है.
- बलूचिस्तान भले ही खुद को अलग देश घोषित कर चुका है, लेकिन अभी संयुक्त राष्ट्र समेत किसी ने भी उसे औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है.
- कार्यशील सरकार, स्थाई आबादी, पारिभाषित क्षेत्र समेत अन्य देशों के साथ संबंध बनाने की क्षमता होना जरूरी है.