राफेल, नागास्त्र, स्कैल्प और हैमर, भारत के वो हथियार जिनसे पूरा हुआ ऑपरेशन सिंदूर!

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भारतीय सेना ने मंगलवार और बुधवार की रात (06 मई) पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया. भारतीय सशस्त्र बलों की ओर से पाकिस्तान में बने आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमला किया गया. ये एयरस्ट्राइक उन आतंकी ठिकानों पर की गई, जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई थी. इस हमले में भारत में कई शक्तिशाली हथियारों का इस्तेमाल किया गया.

पाकिस्तान में आतंक के गढ़ को जमींदोज करने के लिए भारत ने रफाल (राफेल) फाइटर जेट की स्कैल्प मिसाइल के साथ-साथ देश की प्राइम स्ट्राइक वेपन ब्रह्मोस का इस्तेमाल किया था. भारत के विदेश सचिव और सेनाओं ने जो साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, उसमें कहा गया था कि प्रशेसियन  वेपन का इस्तेमाल किया गया था. माना जा रहा है कि ये प्रसियन वेपन ब्रह्मोस ही था.

 

 

सुखोई फाइटर जेट्स को ब्रह्मोस मिसाइलों से किया गया था लैस

भारतीय वायुसेना के सुखोई फाइटर जेट्स को हाल ही में ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया गया था. साथ ही थलसेना भी जमीन से जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल करती है.

दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को भारत ने रूस की मदद से देश में ही तैयार किया है. ब्रह्मोस भारत का प्राइम स्ट्राइक वैपेन है जिसे भारत की सबसे लंबी नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नामों को मिलाकर नाम दिया गया है.

माना जाता है कि दुनिया की कोई रडार और हथियार, मिसाइल सिस्टम उसे इंटरसेप्ट नहीं कर सकता है यानी एक बार ब्रह्मोस को दाग दिया तो ब्रह्मास्त्र की तरह इसे कोई नहीं रोक सकता है और अपने लक्ष्य पर ही जाकर गिरती है और टारगेट को तबाह करके ही दम लेती है.

ब्रह्मोस एयरोस्पेस का बड़ा दावा

ब्रह्मोस को बनाने वाली कंपनी, ब्रह्मोस एयरोस्पेस का दावा है कि ब्रह्मोस की रेंज 290 किलोमीटर है जबकि ऑपरेशन रेंज ज्यादा ही मानी जाती है.  इसकी स्पीड 2.8 मैके है यानि आवाज की गति से भी ढाई गुना ज्यादा की स्पीड. भारत ने हालांकि, ब्रह्मोस, के एक्सटेंडेड रेंज यानी 450-500 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल भी तैयार कर ली है.

सेना के तीनों अंग इस्तेमाल करते हैं प्राइम स्ट्राइक वेपन

ब्रह्मोस मिसाइल भारत के उन चुनिंदा हथियारों (मिसाइलों) में से एक है जिसे थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ही इस्तेमाल करती हैं. वायुसेना के फ्रंटलाइन एयरक्राफ्ट, सुखोई में भी ब्रह्मोस मिसाइल को इंटीग्रेट कर दिया गया है.

थलसेना की आर्टलरी यानि तोपखाना भी ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल करता है. नौसेना के युद्धपोतों को भी ब्रह्मोस से लैस कर दिया गया है. जिससे नौसेना के शिप और अधिक घातक बन गए हैं और समंदर से जमीन तक पर टारगेट करने में सक्षम बन गए हैं.

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसके अलावा इजरायल के लोएटरिंग म्युनिशन हारोप का इस्तेमाल भी किया गया है. ये पहली बार दुनिया के सामने आया है कि भारतीय वायुसेना हारोप का इस्तेमाल करती हैं. 2021 में ये खबर जरूर आई थी कि भारत ने इजरायल से 100 लोएटरिंग म्युनिशन खरीदने का सौदा किया है.

अभी तक भारतीय वायुसेना सिर्फ इजरायल के हेरोन और सर्चर सर्विलांस ड्रोन इस्तेमाल करती है, ये जानकारी ही पब्लिक डोमेन में थी. खबर ये भी है कि इजरायल के स्पाइस-2000 बम का भी इस्तेमाल लश्कर, जैश और हिज्बुल्लाह के आतंकी कैंप को तबाह करने के लिए इस्तेमाल किया गया.

साल 2019 में जैश ए मोहम्मद के टेरर कैंप को तबाह करने के लिए भी भारतीय वायुसेना ने मिराज-2000 फाइटर जेट से स्पाइस बम का इस्तेमाल किया था.

ऑपरेशन सिंदूर में राफेल, सुखोई और मिराज विमानों का इस्तेमाल

6 मई की रात को भारत द्वारा पाकिस्तान के अंदर किए गए एयरस्ट्राइक में राफेल, सुखोई Su-30 MKI और मिराज 2000 लड़ाकू विमानों को ऑपरेशन में लगाया गया. इन विमानों ने पाक अधिकृत इलाकों में मौजूद संदिग्ध आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया.

इस ऑपरेशन में ‘स्कैल्प’ (SCALP) मिसाइल का इस्तेमाल किया गया, जो अपनी लंबी दूरी और सटीक निशाने लगाने की क्षमता के लिए जानी जाती है. यह मिसाइल 500 किमी से भी अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्यों को बेहद सटीकता से नष्ट कर सकती है.

 

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