देश में कितनी कच्ची उम्र के बच्चे लेने लगते हैं ड्रग्स? जान लें ऐसे टॉप-10 शहरों के नाम…

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देश में ड्रग्स और नशे की समस्या बहुत चिंताजनक होती जा रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि स्कूल जाने वाले बच्चे भी अब कम उम्र में ही नशीली चीजों की ओर बढ़ रहे हैं. नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक बड़े मल्टी सिटी सर्वे में सामने आया है कि भारत में अब छोटे बच्चे भी ड्रग्स के आदी हो रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि असली आंकड़े इससे भी ज्यादा खौफनाक हो सकते हैं, क्योंकि कई बच्चे नशे पर सही जवाब नहीं देते हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि देश में कितनी कच्ची उम्र में बच्चे ड्रग्स शुरू कर देते हैं.

किस उम्र में शुरू कर रहे बच्चे नशा?

सर्वे के अनुसार, औसतन बच्चे 12.9 साल की उम्र में पहली बार किसी साइकोएक्टिव पदार्थ को हाथ लगाते हैं. वहीं कई बच्चे 11 साल की उम्र में भी ड्रग्स या नशीली चीजों की शुरुआत करते पाए गए हैं. यह सर्वे 10 बड़े शहरों में किया गया है जिसमें 14.7 साल की औसत आयु वाले 5,920 बच्चों को शामिल किया गया है.

दिल्ली से रांची तक 10 बड़े शहरों में हुआ सर्वे

यह सर्वे दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, लखनऊ, चंडीगढ़, हैदराबाद, इंफाल, जम्मू, डिब्रूगढ़ और रांची में किया गया. इसमें औसतन 14.7 साल की उम्र के 5,920 बच्चों को शामिल किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, हर सात में से एक छात्रा ने कभी न कभी साइकोएक्टिव पदार्थ का इस्तेमाल किया है. वहीं्र स्टडी में यह सामने आया है कि 15.1 प्रतिशत छात्रों ने कभी न कभी नशा किया है, जबकि 10.3 प्रतिशत ने पिछले 1 साल में नशा किया है और 7.2 प्रतिशत ने पिछले महीने में किसी ने किस ड्रग का इस्तेमाल किया है. वहीं नशे के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की किए जाने वाले पदार्थ तंबाकू चार प्रतिशत, शराब 3.8 प्रतिशत, ओपिओइड 2.8 प्रतिशत, भांग 2 प्रतिशत, इनहेलेंट 1.9 प्रतिशत थे. खास बात यह है कि अधिकांश ओपिओइड नशा बिना प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाइयां के जारी किया गया है.

 

 

11वीं और 12वीं के बच्चों में नशे का दोगुना खतरा

इस रिसर्च में सामने आया है की बड़ी कक्षाओं के छात्रों यानी 11वीं और 12वीं के बच्चे में नशे की प्रवृत्ति कक्षा 8 के छात्रों की तुलना में लगभग दोगुनी है. इनमें लड़के तंबाकू और भांग का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं. वहीं लड़कियां इनहेलेंट और ओपिओइड दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल करती है. साथ ही 50 प्रतिशत से ज्यादा छात्रों ने कहा कि वह नशे की बात छुपा लेंगे, जिससे असल डेटा इससे भी कहीं बड़ा हो सकता है. वहीं स्टडी के अनुसार पिछले साल नशा करने वाले 31 प्रतिशत बच्चों में भावनात्मक और मानसिक परेशानी पाई गई है. जबकि नशा न करने वाले बच्चों में यह परेशानी 25 प्रतिशत थी. वहीं नशा करने वाले बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं और भावनात्मक स्थिरता ज्यादा देखी गई है

क्यों बढ़ रहा है बच्चों में नशे का इस्तेमाल?

रिपोर्ट और एक्सपर्ट्स के अनुसार 40 प्रतिशत बच्चों ने बताया कि उनके घर में तंबाकू या शराब का इस्तेमाल होता है. वहीं कई बच्चों के दोस्त नशा करते हैं जिससे उनमें भी लत लग जाती है. वहीं कई बच्चे भावनात्मक तनाव की वजह और कई दवाइयाें और नशीले पदार्थों तक आसान पहुंच की वजह से नशा करने लगे हैं. वहीं नशे को लेकर एम्स के डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि किशोरावस्था में दिमाग बहुत संवेदनशील होता है और इनहेलेंट, भांग और ओपिओइड जैसी चीजें लंबे समय तक नुकसान करती है.

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