दिल्ली की कोर्ट का असाधारण फैसला, मासूम पर खौफनाक हमले के आरोपी को सुनाई उम्रकैद की सजा, कहा- ‘यह घटना…’

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दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने आठ पहले 7 साल के मासूम पर बेरहमी और जानलेवा हमला करने के मामले को आसाधारण और अमानवीय घटना करार दिया है. अदालत ने इस मामले में आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए कहा कि ‘यह घटना खौफनाक मानसिकता का प्रतीक’ है. यह समाज में दहशत पैदा करने वाला है.

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने अपराधी मोहम्मद मोई उर्फ मोहित को आईपीसी की धारा 307 यानी हत्या का प्रयास और 364 यानी हत्या के इरादे से किडनैप करना के तहत दोषी करार दिया. कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज अमित सहरावत ने फैसला सुनाते हुए कहा, “एक मासूम बच्चे पर पत्थरों से हमला करना और ब्लेड से उसके शरीर को छलनी कर देना, एक सामान्य अपराध नहीं बल्कि रोंगटे खड़ी कर देने वाली खौफनाक वारदात है.”

क्या है पूरा मामला? 

यह घटना साल 2017 की है. जब आरोपी ने 5 से 7 साल की उम्र के मासूम बच्चे को किडनैप कर उसे सुनसान जगह पर ले जाकर उसके सिर पर कई बार पत्थरों से हमला किया. इससे भी उसका मन नहीं भरा तो ब्लेड से उसका चेहरा, हाथ पर कंधे समेत पूरे शरीर को घायल कर दिया. इसके बाद आरोपी मासूम बच्चे को खून से लथपथ हालत में मरने के लिए छोड़कर भाग गया.

 

 

तीन बच्चों का बाप है आरोपी

दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह सोचकर हैरानी होती है कि आरोपी स्वयं तीन बच्चों का पिता है. बावजूद इसके उसने इतनी निर्ममता से एक मासूम बच्चे की जान लेने की कोशिश की. आरोपी द्वारा किया गया यह अपराध मानवता के नाम पर कलंक है.

पीड़ित बच्चा घटना को याद कर डरा 

कड़कड़डूमा कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब पीड़ित बच्चा मुआवजे के लिए कोर्ट में पेश हुआ तो घटना के 8 साल बीत जाने के बावजूद वह कोर्ट रूम में बेहद डरा हुआ था. हालांकि, इस मामले की सुनवाई के दौरान बच्चा बार-बार यही कह रहा था कि आरोपी फिर से उसे नुकसान पहुंचा सकता है.

आरोपी रहम का हकदार नहीं- कोर्ट 

दिल्ली की कोर्ट ने इस मामले में आरोपी की आर्थिक स्थिति और उसके बच्चों के भविष्य की दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसे अपराधियों को समाज में कोई सहानुभूति नहीं मिलनी चाहिए. ऐसे आरोपी की असली जगह जेल है. ताकि यह दूसरों के लिए भी उदाहरण बन सके.

बच्चे को मुआवजा देने का आदेश 

कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी को आदेश दिया है कि पीड़ित बच्चे को सही मुआवजा दिया जाए. कड़कड़डूमा कोर्ट ने यह माना कि पीड़ित बच्चा आज भी मेंटली हैरेसमेंट और अपनी सुरक्षा को लेकर डर की भावना से जूझ रहा है.

 

 

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