भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान में चलाए गए ओपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच जंग के आसार नजर आ रहे हैं. एलओसी पर देर रात से ही पाकिस्तान की ओर से हैवी फायरिंग की जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी में अब तक 15 नागरिकों की मौत हो चुकी है. इधर, भारतीय सेना द्वारा भी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है.
बता दें, भारत ने 6-7 की दरमियानी रात पाकिस्तान और पीओके स्थित 9 आतंकी संगठनों को निशाना बनाया. इस हमले में 26 लोगों की मौत की पुष्टि पाकिस्तान की ओर से की गई है, जिसमें आतंकी मसूद अजहर के परिवार के 14 लोग भी शामिल हैं. पाकिस्तान ने भारत की इस सैन्य कार्रवाई को ‘एक्ट ऑफ वार’ बताया है तो भारत की ओर से कहा गया है कि वह पाकिस्तान की हर हरकत पर पैनी नजर रखे हुए है. ऐसे में सवाल यह है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है तो क्या पाकिस्तान अपने नागरिकों को भी जंग लड़ने के लिए मजबूर कर सकता है? इसको लेकर नियम क्या हैं? चलिए जानते हैं…
जंग के बीच बदल जाते हैं नियम
बता दें, जब भी किसी देश में युद्ध छिड़ता है तो नियम पूरी तरह बदल जाते हैं और नागरिकों को सरकार और सेना की ओर से दिए गए निर्देशों का पालन करना अनिवार्य हो जाता है. कोई भी मुल्क, जो युद्ध लड़ रहा होता है वह जरूरत पड़ने पर अपने नागरिकों के लिए युद्ध में शामिल होने का आदेश जारी कर सकता है. ऐसा तब होता है जब युद्ध में अधिक संख्या में सैनिक हताहत होते हैं और बॉर्डर पर दुश्मन देश का मुकाबला करने के लिए सैनिकों की संख्या कम होने लगती है. ऐसे में कई देश अपने नागरिकों (विशेषतौर पर पुरुषों और 18 साल के ऊपर के नौजवानों) को देश छोड़कर जाने पर पांबदी लगा देते हैं और उन्हें युद्ध में जाने का आदेश दे सकते हैं. ऐसे में पाकिस्तान भी युद्ध के हालात में ऐसा कर सकता है.
यूक्रेन ने जारी किया था ऐसा ही आदेश
बता दें, रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की ओर से भी ऐसा ही आदेश दिया गया था, जिसके तहत नौजवानों और 60 साल की उम्र तक के पुरुषों को देश छोड़कर जाने की इजाजत नहीं थी. ऐसा इसलिए किया गया था, जिससे रूस के हमलों से अपने देश की रक्षा करने के लिए यूक्रेन अपने नागरिकों का इस्तेमाल जंग में कर सके.