दिल्ली विधानसभा में गुरुवार (7 अगस्त) कथित ‘फांसी घर’ को लेकर चर्चा हुई. स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने सरकारी दस्तावेजों की जांच के आधार पर इसे टिफिन रूम और लिफ्ट बताया है और आम आदमी पार्टी की सरकार पर झूठे ‘फांसी घर’ के उद्घाटन का आरोप लगाया है. इस मुद्दे पर वे शुक्रवार को विधानसभा में अपना फैसला सुनाएंगे.
विधानसभा की कार्रवाई समाप्त होने के बाद बीजेपी विधायकों का एक दल मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह के नेतृत्व में कथित ‘फांसी घर’ का दौरा करने पहुंचा. सवालों के घेरे में मौजूद ‘फांसी घर’ के दौरे के बाद, एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में दिल्ली सरकार के मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह ने कहा कि पिछली सरकार ने जनता और देश की जनता के सामने टिफिन रूम को ‘फांसी घर’ बताते हुए धोखे में रखा.
रविंद्र इंद्राज सिंह ने कहा कि लेकिन अब विधानसभा के आधिकारिक नक्शे से आम आदमी पार्टी के झूठ जनता के सामने आ गए हैं. साथ ही, एबीपी न्यूज के कैमरे पर लिफ्ट को दिखाते हुए दिल्ली सरकार के मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह ने कहा कि यह सिर्फ 2 फीट चौड़ा है. ऐसे में, इतनी चौड़ाई में फांसी दी ही नहीं जा सकती. यह सब कुछ AAP का झूठ था, जो अब सामने आ रहा है.
इसी मामले पर जंगपुरा से बीजेपी विधायक तरविंदर सिंह मारवाह ने AAP पर हमला बोलते हुए, AAP को झूठ की पार्टी बताया और कहा कि आज नेशनल आर्काइव्स में रखे नक्शे से सच सामने आ गया है. साथ ही, AAP के पास कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं था, ना ही वे किसी किताब के बारे में बता पाए और न ही किसी अन्य बात पर. सिर्फ कंचे से उन्होंने अपना झूठ सच बताने की कोशिश की.
जिन अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग को नहीं माना, वे ‘फांसी घर’ को क्या मानेंगे- AAP
सदन में ‘फांसी घर’ को डिफेंड करने की कमान AAP के विधायक संजीव झा ने संभाली थी. एबीपी न्यूज से बातचीत में संजीव झा ने कहा कि जिस तरह से बीजेपी सरकार अंग्रेजों की यातना के केंद्र ‘फांसी घर’ पर सवाल उठा रही है, यह गलत है.
संजीव झा के मुताबिक, इस सरकार ने ब्रिटिश संसद तक को ‘फांसी घर’ पर चिट्ठी लिखी है, जिन अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग को नहीं माना, वे ‘फांसी घर’ को क्या मानेंगे. ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि आज से 10–15 साल बाद जब यह साबित हो जाए कि वह ‘फांसी घर’ ही था, तो देश का सिर शर्म से झुक जाए.
अंग्रेज फांसी देने के बाद स्वतंत्रता सेनानी को कंचे से मारते थे- संजीव झा
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने साल 1911 का दिल्ली विधानसभा का नक्शा भी सदन में रखा और बताया कि जिस जगह का उद्घाटन आप सरकार में ‘फांसी घर’ के रूप में हुआ था, वह असल में टिफिन रूम था और पास में लिफ्ट थी.
संजीव झा के मुताबिक, साल 1911 में तो यह टिफिन रूम ही था, लेकिन साल 1928 के बाद यह ‘फांसी घर’ बना था. इसके सबूत वे कंचे हैं जो वहां से मिले हैं, क्योंकि अंग्रेज फांसी देने के बाद स्वतंत्रता सेनानी को कंचे से मारते थे, ताकि यह पता चल सके कि फांसी के बाद सेनानी मरा या नहीं.
मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की अपील
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और एबीपी न्यूज से बातचीत में मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह ने मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की अपील की थी. ऐसे में देखना होगा कि कल इस मामले पर दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता क्या फैसला देते हैं.
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