मिलिड ईस्ट में इस वक्त जबरदस्त तनाव का माहौल है. ईरान पर इजरायली हमले के बाद स्थिति और भयावह होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में जब क्रूड ऑयल में करीब 12 प्रतिशत की उछाल आया है, आरबीआई ने बाजार को संभालने के लिए अपना कदम उठा लिया है. केन्द्रीय बैंक की तरफ से शुक्रवार को डॉलर की बिकवाली की गई ताकि गिरते हुए रुपये को थामा जा सके.
साथ ही, शुरुआती कारोबार के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया टूटकर 86.20 पर आ गया. हालांकि, बाद में केन्द्रीय बैंक के हस्तक्षेप का सीधा फायदा मिला और रुपये उठकर 86.04 पर आ गया.

रुपये पर जबरदस्त दवाब
भारतीय रुपये पर जबरदस्त तरीके से ये दबाव ऐसे वक्त पर पड़ा है, जब रिपोर्ट्स के मुताबिक परमाणु हथियार बनाने से तेहरान को रोकने के लिए इरान के परमाणु डेवलप करने वाले संस्थानों पर निशाना बनाकर हमले किए गए. इसके बाद कच्चा तेल करीब 12 प्रतिशत उछलकर 78 डॉलर प्रति बैरल हो चुका है. ईरान ने इस हमले के जवाब में कदम उठाने की बात कही है. इसके बाद मध्य पूर्व में अब लंबे समय तक युद्ध का खतरा मंडराने लगा है. साथ ही, वैश्विक तेल आपूर्त में के रास्तों में भी बाधाएं आ सकती है, जिनमें जलडमरुमध्य हर्मुज भी है.
क्या होगा भारत पर असर?
ऐसी स्थिति में किसी भी तरह का उस क्षेत्र में तनाव बढ़ने का सीधा असर तेल के ऊपर पड़ेगा और भारत के देश जो इसके बड़े आयतक है, उनके ऊपर इसका असर पड़ना तय माना जा रहा है. भारत तो अपनी जरूरतों का करीब 85 प्रतिशत तेल आयात करता है.
ऐसे में अगर तेल की कीमत बढ़ी तो न सिर्फ भारत का व्यापारिक घाटा बढ़ेगा बल्कि रुपये पर भी जबरदस्त तनाव पड़ेगा और महंगाई बढ़ सकती है. हालांकि, आरबीआई की तरफ से अभी इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन उसने अतीत में हर वो कदम उठाया है ताकि किसी भी चुनौती से पार पाया जा सके. खासकर जब वैश्विक उथल-पुथल की वजह से देश के सामने संकट आता है.