रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी हुआ, पात्रता अनुसार दिव्यांगता प्रमाण पत्र भी मिले
धमतरी/ 19 जून सिकलसेल एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को लेकर जनजागरूकता फैलाने एवं रोगियों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से आज धमतरी में एक विशेष स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। विश्व सिकलसेल दिवस के अवसर पर स्थानीय शहीद वीरनारायण सिंह सामुदायिक भवन में आयोजित इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में सिकलसेल रोगी, उनके परिजन, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यशाला में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सिकलसेल रोग के लक्षण, कारण, जांच, खानपान एवं सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उपस्थित रोगियों की हीमोग्लोबिन जांच, सिकल सेल की स्क्रीनिंग, एवं निःशुल्क परामर्श की व्यवस्था भी की गई। जरूरतमंद मरीजों को निःशुल्क दवाएं भी वितरित की गईं। कार्यशाला में पात्रता अनुसार छह सिकलसेल रोगियों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर सीएमएचओ डॉ. यू.एल.कौशिक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जिला प्रबंधक डॉ.प्रिया कंवर सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
कार्यशाला का शुभारंभ कर कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने सिकलसेल बीमारी की रोकथाम, समय पर जांच और उपचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धमतरी जिले में विशेष समुदाय में यह बीमारी अधिक पाई जाती है और इसके लिए सतत जागरूकता एवं सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाना जरूरी है। इस कार्यशाला के माध्यम से इस रोग की जानकारी, उसके उपचार, बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। सिकलसेल के रोगियों की दैनिक और सामाजिक परेशानियों को कम करने, उन्हें सामान्य जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनके इलाज, रोजगार, पढ़ाई आदि के लिए भी शासन-प्रशासन प्रयास कर रहा है।
इस कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद डॉ.उरिया नाग ने उपस्थित लोगों को सिकलसेल रोग के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इसके लिए जिला स्तर पर एक काउंसिलिंग सेंटर स्थापित करने पर भी जोर दिया। डॉ.नाग ने महिला स्व सहायता समूहों की तर्ज पर सिकलसेल एनीमिया वाले गांवों में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप भी बनाने का सुझाव दिया, ताकि सिकलसेल रोगियों को जरूरी मानसिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिल सकें। इससे ऐसे रोगियों को नैतिक संबल भी मिलने की बात डॉ. नाग ने कही। उन्होंने सिकलसेल के रोगियों के खन-पान, पोषण का भी ध्यान रखने का सुझाव परिवारजनों को दिया। डॉ.नाग ने विवाह से पूर्व जैनेटिक कुडली मिलाने की भी बात लोगों को बताई। कार्यशाला में सिकलसेल पीड़ित मरीजों ने भी अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि समय पर जांच और सही दवाओं से इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।