भारत में iPhone का प्रोडक्शन तेज़ी से रफ्तार पकड़ रहा है. सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम, Tata और Foxconn जैसी बड़ी कंपनियों का निवेश, और बढ़ते हुए लोकल मैन्युफैक्चरिंग सेटअप ने भारत को Apple के लिए एक अहम मैन्युफैक्चरिंग हब बना दिया है. लेकिन इसके बावजूद, Apple पूरी तरह से चीन से दूरी नहीं बना पा रहा है. सवाल ये है कि जब भारत में सबकुछ सही दिशा में जा रहा है तो फिर Apple को अब भी चीन की ज़रूरत क्यों है?
भारत बना iPhone प्रोडक्शन का नया ठिकाना
Apple अब भारत को iPhone मैन्युफैक्चरिंग का अगला केंद्र बनाना चाहता है. 2025 के पहले ही पांच महीने में भारत में करीब 15,000 करोड़ रुपये के iPhone बन चुके हैं, जो पिछले साल के लगभग बराबर है. Foxconn और Tata Electronics जैसे मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर भारत में बड़े स्तर पर निवेश कर रहे हैं. Foxconn ने तमिलनाडु और बेंगलुरु में नए प्लांट्स के ज़रिए प्रोडक्शन को बढ़ाने की योजना बनाई है, जबकि Tata अब Apple प्रोडक्शन में लगभग 35% हिस्सेदारी हासिल करने की दिशा में है.
फिर भी क्यों नहीं छूट रहा चीन?
हालांकि भारत में मैन्युफैक्चरिंग का विस्तार हो रहा है, लेकिन चीन अभी भी iPhone के ग्लोबल प्रोडक्शन में करीब 75% हिस्सेदारी रखता है. इसकी एक बड़ी वजह चीन में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का दशकों पुराना अनुभव, मजबूत सप्लाई चेन और कुशल लेबर है. Apple के CEO टिम कुक भी चीन की इन क्षमताओं की सराहना कर चुके हैं.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर Apple सिर्फ 10% प्रोडक्शन भी चीन से बाहर शिफ्ट करता है तो उसे इसमें करीब 8 साल लग सकते हैं. यानी तकनीकी क्षमता और सप्लाई चेन का स्तर अभी भारत में चीन जैसा नहीं है.
भारत को क्यों मिल रहा है तवज्जो?
- Apple के भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने के पीछे कुछ अहम वजहें हैं:
- अमेरिकी टैरिफ से बचने की रणनीति
- भारत सरकार की PLI स्कीम और अन्य सब्सिडी
- तेजी से बढ़ती लोकल मांग (2024 में 11 मिलियन iPhone बिके)
- Foxconn और Tata जैसे मजबूत लोकल पार्टनर्स की भागीदारी
ये सारी चीज़ें Apple को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित कर रही हैं. वहीं अमेरिका में बिकने वाले ज़्यादातर iPhone को 2026 तक भारत में बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
Foxconn और Tata की बड़ी प्लानिंग
Foxconn भारत में हर घंटे 500 iPhone 16 यूनिट्स बनाने की तैयारी में है और 2027 तक 50,000 लोगों को रोजगार देने वाला प्लांट तैयार करेगा. Tata ने न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग में कदम बढ़ाया है बल्कि अब वह Apple डिवाइसेज़ की सर्विसिंग और रिपेयरिंग का काम भी कर रही है, जिससे Apple की भारतीय मार्केट में पकड़ और मजबूत हो रही है.
चीन की अभी भी ज़रूरत
भारत तेजी से iPhone प्रोडक्शन का नया गढ़ बन रहा है, लेकिन Apple के लिए चीन को पूरी तरह से छोड़ना आसान नहीं है. भारत में बुनियादी ढांचे, स्पेयर पार्ट्स सप्लाई, और स्किल्ड वर्कफोर्स के विकास में अभी भी वक्त लगेगा.
Apple फिलहाल ‘चीन-प्लस-वन’ की रणनीति पर काम कर रहा है, जिसमें चीन के साथ-साथ भारत को एक वैकल्पिक उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. यानी भारत भविष्य है, लेकिन चीन अभी भी मजबूरी है.