चांदी की कीमतें बुधवार यानी कि आज 18 जून को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर 1.10 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गई. महज एक दिन में इसकी कीमत 100 रुपये बढ़ गई. चांदी की कीमत में इसी तेजी को देखते हुए मशहूर अमेरिकी लेखक और इंवेस्टर रॉबर्ट कियोसाकी का कहना है कि आने वाले समय में चांदी की कीमतें अपने मौजूदा स्तरों से दोगुनी हो जाएंगी. उन्होंने वैश्विक अनिश्चितता के हवाले यह पूर्वानुमान लगाया है.
क्यों चांदी पर बढ़ रहा है निवेश?
मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के चलते सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं. इधर, कमजोर होते रुपये की वजह से भी भारतीय निवेशकों के बीच चांदी की अपील मजबूत हुई है. आमतौर पर भू-राजनीतिक तनाव के दौरान सोने-चांदी को ‘सेफ हेवेन’ माना जाता है क्योंकि अनिश्चितता के समय शेयरों या अन्य परिसंपत्तियों की कीमत गिर सकती है, लेकिन सोना-चांदी या तो अपनी कीमत बनाए रखती है या इसकी कीमतें बढ़ जाती हैं. शायद इसी बात को ध्यान में रखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि चांदी की कीमतें 2 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकती हैं.

2 साल में खूब बढ़ी चांदी की कीमत
वहीं, LKP सिक्योरिटीज में वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च एनालिस्ट – कमोडिटी और करेंसी, जतिन त्रिवेदी का कहना है कि चांदी की कीमतों में साल 2020 के बाद से बड़ा बदलाव देखने को मिला है. साल 2011 में चांदी की कीमतें अपने पीक 49.50 डॉलर (लगभग 73,000 रुपये) पर थीं. मार्च 2020 तक चांदी कीमतों में गिरावट देखी गई, लेकिन पिछले दो सालों में इसमें लगभग 60 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से कीमतें अकेले 2025 में 87,000 रुपये से बढ़कर 1,04,500 रुपये हो गई हैं.
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के कमोडिटीज और करेंसीज के डायरेक्टर नवीन माथुर ने अनुमान लगाया है कि चांदी 38.70-41.50 डॉलर प्रति औंस की रेंज में कारोबार कर सकती है, जो MCX वायदा बाजार में 1,15,000-1,23,000 रुपये प्रति किलोग्राम के बराबर है. यह मौजूदा स्तरों से 15-18 परसेंट की बढ़त को दर्शाता है. उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में चांदी की कीमत लगभग 50 डॉलर प्रति औंस के नए ऑल टाइम हाई रिकॉर्ड पर पहुंचने की उम्मीद है. यानी कि अगले 3-5 सालों में इसका भाव 1,50,000-1,70,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकता है.