दुनियाभर में ईद उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए यह एक अहम त्योहार है, जिसमें मुस्लिम सुबह की नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी देते हैं. इस्लामिक देशों में यह त्योहार काफी बड़े स्तर पर मनाया जाता है, लेकिन अगर भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें तो यहां के एक खास मुस्लिम वर्ग को ही इस त्योहार को मनाने की इजाजत नहीं है. यहां की सरकार द्वारा खास मुस्लिम वर्ग पर बकरे की कुर्बानी देने पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि यह मुस्लिम वर्ग कौन सा है और क्यों इसे बकरीद मनाने की इजाजत नहीं है?
ये मुस्लिम नहीं मना सकते बकरीद
पाकिस्तान में रह रहे अहमदिया मुस्लिमों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें से एक है उनके द्वारा मुस्लिम त्योहारों को मनाने पर लगाई गई रोक. जानकारी के मुताबिक, पंजाब और सिंध प्रांत में रहने वाले मुसलमानों द्वारा बकरे की कुर्बानी देने पर रोक लगा दी गई है. यहां तक कि इस समुदाय के मुसलमान चारहदीवारी के अंदर भी बकरे की कुर्बानी नहीं दे सकते हैं. इसके लिए प्रशासन की ओर से अधिसूचना भी जारी की गई है. इसके अलावा अहमदिया मुस्लिम समुदाय के लोगों को सार्वजनिक रूप से कुरान पढ़ने, नमाज अदा करने यहां तक कि मस्जिद बनाने और सलाम बोलने पर भी रोक है.
क्यों है रोक और कितनी सजा
बता दें, पाकिस्तान में 1974 में हुए संविधान संशोधन में अहमदिया मुसलमानों को मुस्लिम मान्यता से बाहर कर दिया गया था. यहां के सामान्य मुस्लिम अहमदिया समुदाय के लोगों को गैर-मुस्लिम मानते हैं और मुस्लिम परंपराओं का पालन करने पर उन्हें जेल तक हो जाती है. इसके अलावा बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी देने पर पांच लाख का जुर्माना जैसी भी सजा का प्रावधान है.