मिडिल ईस्ट तेल के व्यापार के लिए जाना जाता है. मिडिल ईस्ट में तेल को सोने देने वाली मुर्गी के बराबर माना जाता है.जिस दिन यह मुर्गी अंडे देना बंद कर देगीउस दिन यहां फिर से गरीबी का दौर शुरु हो जाएगा. जब भी दुबई और अमीरी का जिक्र होता है, तो जेहन में लग्जरी कारें, सोने से जड़े महल, ऊंची-ऊंची इमारतें और अरबों डॉलर की दौलत तैरती है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि अगर दुबई में तेल के कुंए बंद हो गए तो फिर इन लोगों का क्या होगा.
क्या असर होगा
दुबई की अर्थव्यवस्था में तेल का एक बड़ा योगदान है. लेकिन अगर वर्तमान स्थिति देखें तो यह काफी बदल चुकी है, आज दुबई पूरी तरह तेलों पर निर्भर नहीं है. दुबई ने व्यापार, पर्यटन, वित्तीय सेवाएं, रियल एस्टेट और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में निवेश करके अपनी अर्थव्यवस्था को अलग अलग तरीकों से मजबूत किया है.
दुबई के शेखों ने तेल से होने वाले फायदे को अलग अलग फील्ड में निवेश किया हुआ है, जहां से उनको काफी फायदा होता है. तेल के कुएं सूखने की स्थिति में भी उनकी संपत्ति पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा. अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो दुबई में तेल के कुएं सूखने की स्थिति में शेखों के गरीब होने की संभावना बेहद कम है.
बाकी लोगों पर क्या असर होगा
दुबई के शेखों ने कई फील्ड और कई देशों में निवेश कर रखा है तो उनके ऊपर तेल खत्म होने का उतना ज्यादा असर नहीं देखने को मिलेगा. लेकिन तेल से होने वाली सरकारी आमदनी अगर घटती है तो सरकार की तरफ से मिलने वाली नौकरियों, सब्सिडी और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ सकता है. ऐसे में लाखों लोगों की नौकरी खत्म हो सकती है उनको जिंदगी जीने के लिए दूसरे फील्ड पर निर्भर होना पड़ेगा.
तेल से होने वाली कमाई से दुबई ने अपने यहां अब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्ट और हाउसिंग जैसी सुविधाएं बेहतर की हैं. अगर तेल के कुंए सूख जाते हैं तो फिर इन सुविधाओं को बनाए रखने के लिए सरकार को टैक्स बढ़ाना पड़ सकता है. जिससे आम लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है.