पनडुब्बी किसी भी देश के नौसेना की रीढ़ की हड्डी होती है. जंग केवल आधुनिक हथियारों और मिसाइलों से नहीं लड़ी जाती है अगर आपको अपने दुश्मन को पूरी तरह ध्वस्त करना है तो आपके नौसेना के पास आधुनिक और खतरनाक पनडुब्बी होनी चाहिए जो दुश्मन पर समुद्र के नीचे से वॉर कर सके और पलक झपकते ही दुश्मन के किसी भी पोर्ट और इलाके को तबाह कर सके. इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 1776 में पहली बार पनडुब्बी बनाई गई जिसको अमेरिका ने बनाया था और इसका इस्तेमाल ब्रिटिश जहाजों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया गया. चलिए, आपको बताते हैं कि किस देश के पास है सबसे खतरनाक पनडुब्बी और इस पनडुब्बी की ताकत कितनी है.
किस देश के पास है सबसे खतरनाक पनडुब्बी
पनडुब्बी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा विश्वयुद्ध के दौरान किया गया . उस दौरान यह नौसेना के लिए काफी जरूरी हथियार हो गया था. उसके बाद खतरनाक पनडुब्बी बनाने की होड़ सी मच गई. आज के दौर में सबसे खतरनाक पनडुब्बी रूस और अमेरिकी के पास है. रूस के पास मौजूद टायफून क्लास पनडुब्बी को सबसे खतरनाक माना जाता है. परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इस पनडुब्बी का निर्माण सोवियत रूस ने 1960 और 70 के दशक में किया था. इसके निर्माण के पीछे का उद्देश्य अमेरिका और उनके सहयोगियों से शीत युद्ध के दौरान निपटना था.
इन पनडुब्बियों का आकार तीन फुटबॉल मैदान से भी बड़ा था और इसमें कई तरह की सुविधाएं दी गई थीं, जैसे कि स्विमिंग पूल और गोल्फ कोर्स. यह 175 मीटर लंबी और 23 मीटर चौड़ी है, जबकि इसकी गहराई 12 मीटर तक थी. अभी तक बनी सभी पनडुब्बियों में यह सबसे बड़ी पनडुब्बी है. अब यह पनडुब्बी सेवा से बाहर हो चुकी है केवल दिमित्री डोंस्कॉय ही सेवा में है और इसे भी शायद 2026 तक हटा दिया जाएगा.
कितनी ताकतवर
यह पनडुब्बी कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसमें 20 विशाल आर-39 रिफ अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों को लगाया गया था. यह एक 53 फुट लंबा और 8 फुट चौडा हथियार है. ये अमे रिका या यूरोप के किसी भी हिस्से तक परमाणु हमला कर सकती थी. इसमें दुश्मनों को पूरी तरह खत्म करने की क्षमता मौजूद थी.