Harvard University पर ट्रंप के फैसले का इन भारतीय छात्रों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर, जानें कितना होगा नुकसान…

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अमेरिका की मशहूर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने का सपना देख रहे हजारों छात्रों के लिए एक बुरी खबर है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में नए विदेशी छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा दी है. इस फैसले का असर भारत समेत दुनियाभर के हजारों स्टूडेंट्स पर पड़ेगा.

भारत से हर साल बड़ी संख्या में छात्र हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन और मास्टर्स के लिए दाखिला लेते हैं. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार, हर साल 500 से 800 भारतीय छात्र यहां एडमिशन लेते हैं. फिलहाल यूनिवर्सिटी में 788 भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिनके लिए यह फैसला किसी झटके से कम नहीं है.

क्यों लिया गया ये फैसला?

ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर आरोप लगाया है कि वह विदेशी छात्रों से जुड़ी जानकारी नहीं दे रही है और यूनिवर्सिटी का माहौल यहूदी छात्रों के लिए असुरक्षित बन गया है. होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव क्रिस्टी नोएम ने अपने पत्र में कहा कि हार्वर्ड ने हमास समर्थकों के लिए सहानुभूति का माहौल बनाया है, इसलिए अब 2025-26 सत्र से यूनिवर्सिटी में नए विदेशी छात्र नहीं लिए जाएंगे.

 

 

जो छात्र पढ़ रहे हैं उनका क्या होगा?

अगर आप पहले से हार्वर्ड में पढ़ रहे हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है. जो छात्र पहले से एडमिट हैं, वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे. जिनकी डिग्री इस सेमेस्टर में पूरी हो रही है, उन्हें ग्रेजुएशन की अनुमति दी जाएगी. हालांकि, जिन छात्रों ने अभी डिग्री पूरी नहीं की है, उन्हें किसी अन्य यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर होना होगा, वरना वे अमेरिका में रहने का कानूनी हक खो सकते हैं.

72 घंटे की शर्त और दस्तावेज

हार्वर्ड को 72 घंटे के अंदर एक विस्तृत रिपोर्ट देनी होगी जिसमें छात्रों की गतिविधियां, अनुशासनात्मक रिकॉर्ड और प्रदर्शन के वीडियो फुटेज शामिल हों. तभी वह दोबारा “स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम” के तहत विदेशी छात्रों को एडमिशन दे सकेगी.

यूनिवर्सिटी ने जताई आपत्ति

हार्वर्ड ने ट्रंप सरकार के इस फैसले को गैरकानूनी और शोध के माहौल को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि वह छात्रों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और किसी भी तरह की नफरत या हिंसा को बढ़ावा नहीं देती.

इस फैसले के बाद अब हजारों विदेशी छात्रों को अपने सपनों की दिशा बदलनी पड़ सकती है. भारत जैसे देश के छात्रों के लिए यह एक भावनात्मक झटका है, क्योंकि हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटी में पढ़ना कई युवाओं के लिए सपना होता है.

 

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