भारत और पाकिस्तान पर बढ़ती हुई टेंशन पर फिलहाल लगाम लग चुकी है. दोनों देशों के बीच चल रहा संघर्ष जंग तक पहुंचता इससे पहले ही सीजफायर का एलान हो गया. इस संघर्ष में भारत की ओर से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने रक्षा कवच का काम किया है और पाकिस्तान की ओर से आ रहे हर हमले का मुंहतोड़ दिया है. इस एयर डिफेंस सिस्टम ने पाक की ओर से आने वाले ज्यादातर मिसाइल, ड्रोन्स का खात्मा कर दिया. इसीलिए इसे सुदर्शन चक्र भी कहा जाता है. अब सवाल यह है कि जंग के दौरान S-400 की रेंज में उड़ रहा फाइटर प्लेन अपना है तो क्या इस पर भी मिसाइल फायर होगी? चलिए जानें.
किन टेक्नोलॉजी का होता है इस्तेमाल
S-400 की रेंज में उड़ने वाले फाइटर प्लेन की पहचान करने के लिए कई तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे पहले टेक्नोलॉजी होती है राडार सिस्टम. कोई भी देश राडार सिस्टम के जरिए दुश्मन देश के किसी भी मिसाइल और फाइटर जेट की पहचान कर लेता है. इसके अलावा विमान की दिशा, ऊंचाई और गति के जरिए भी उसकी पहचान की जा सकती है कि वो अपना है या फिर दुश्मन देश का.
कैसे काम करता है आईएफएफ सिस्टम
इसके अलावा डेटा शेयरिंग के जरिए भी विमानों की पहचान की जाती है. युद्ध जैसी परिस्थिति के दौरान विमानों द्वारा विभिन्न एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए डेटा शेयर किया जाता है. इस डेटा का विश्लेषण किया जाता है और इसी के जरिए विमान अपना है या दुश्मन देश का इसकी पहचान करने में मदद मिलती है. गूगल एआई से मिली जानकारी की मानें तो आईएफएफ होता है जो कि फ्रेंडली एयरक्राफ्ट्स एक आइडेंटीफिकेशन कोड भेजते हैं, लेकिन अगर वो दुश्मन देश का जेट होता है तो कोई जवाब नहीं मिलता है.
कैसे होती है मिसाइल की पहचान
इसके अलावा यह सिस्टम फ्रेंड और दुश्मन विमानों के बीच अंतर करने के लिए उन्नत एल्गोरिदम और रडार सिग्नेचर का उपयोग करती है. इसके बाद राडार क्रॉस कनेक्शन और अन्य विशेषताओं के जरिए विमान के प्रकार की पहचान की जाती है. वहीं मिसाइल की बात करें तो मिसाइल की गति, ऊंचाई और दिशा को देखने के बाद अगर पाया जाता है कि वह हमारे देश की तरफ आ रही है तो जाहिर सी बात है कि दुश्मन देश की ही मिसाइल है.