सालों से मांग को लेकर संघर्षरत, 8700 परिवार हो गए थे बेघर
धमतरी/ गंगरेल बांध के डूब में आए 52 गांवों के प्रभावितों का सब्र अब जवाब देने लगा है। व्यवस्थापन की मांग को लेकर वे सालों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें न तो जमीन मिली, न ही मुआवजा। जोगीडीह में उनके लिए आरक्षित जमीन कम्पार्टमेंट नंबर 107 पर अन्य लोगों का कब्जा है। इससे नाराज प्रभावितों ने 13 मई से जोगीडीह में अनिश्चितकालीन धरना देने का ऐलान किया है।
सोमवार को गंगरेल बांध प्रभावित जनकल्याण समिति के अध्यक्ष आत्माराम ध्रुव की अगुवाई में डूबान प्रभावित कलेक्टर से मिले। उन्होंने कहा कि अब आरक्षित भूमि पर ही धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। बताया कि साल 2000 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि 3 महीने के भीतर सक्षम प्राधिकारी जांच कर डूब प्रभावितों को जमीन दे, 4 साल बीतने के बाद भी आदेश का पालन नहीं हुआ। इससे लोगों में गहरा आक्रोश है। कार्यकारी अध्यक्ष हर्ष मरकाम ने कहा कि गंगरेल बांध बनने से 52 गांव डूब में आए। तब से लोग व्यवस्थापन के लिए भटक रहे हैं। शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। कलेक्ट्रेट पहुंचे लोगों में राहुल उसेंडी, नीलमणी ध्रुव, महराजी राम ध्रुव, कृपाराम सिन्हा आदि शामिल थे।

मांग पूरी होते तक जारी रहेगा प्रदर्शन
कृपाराम सिन्हा, पुष्कर शोरी और चंद्रकांत साहू ने सरकार से मांग की है कि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सक्षम प्राधिकारी जांच पूरी कर उचित मुआवजा और न्यायसंगत भूमि आबंटित करे। जब तक उन्हें जोगीडीह की आरक्षित भूमि पर बसाया नहीं जाता, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।
उन्होंने डूब प्रभावितों से 13 मई को बड़ी संख्या में जोगीडीह पहुंचने की अपील की है। बता दें कि गंगरेल बांध निर्माण में 52 राजस्व और 3 वन ग्राम के 8700 परिवार बेघर हुए थे। 1972 में गंगरेल बांध निर्माण का शिलान्यास हुआ। तब से अपने घर, जमीन को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
