जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई. इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया. इसी बीच, अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रिजवान सईद शेख ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत-पाक के रिश्तों की जड़ में कश्मीर विवाद है और इसको सुलझाना ही तनाव कम करने का एकमात्र रास्ता है. इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे इस “परमाणु फ्लैशप्वाइंट” को हल करने के लिए हस्तक्षेप करें.
शेख का यह बयान कि भारत-पाक युद्ध “परमाणु विकल्प” तक जा सकता है, एक तरह से राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश भी हो सकती है और एक रणनीतिक डर भी, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले में दखल दे. विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के बयान अकसर पाकिस्तान द्वारा वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के लिए दिए जाते हैं, लेकिन हालात संवेदनशील हैं और ये शब्द भले कूटनीतिक हों, उनके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार
रिजवान सईद शेख ने कहा कि जब भी कश्मीर में तनाव होता है, तब दुनिया की नज़र इस ओर जाती है, लेकिन जैसे ही कुछ समय के लिए शांति आती है, दुनिया आंख मूंद लेती है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्थायी समाधान की दिशा में प्रयास करने की मांग की. यह एक पुरानी रणनीति है जिसमें पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य देशों के समक्ष उठाता है, ताकि भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जा सके.
जांच से पहले आरोप न लगाएं- पाकिस्तान
भारत सरकार का दावा है कि इस आतंकी हमले की जड़ें पाकिस्तान में हैं. शुरुआती जांच में इसके सबूत भी मिले हैं. वहीं पाकिस्तान ने इसमें किसी भी भूमिका से इनकार किया है और कहा है कि भारत बिना सबूत के झूठे आरोप लगा रहा है. भारत ने कहा है कि यह हमला सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का हिस्सा है, जो दशकों से कश्मीर को अस्थिर करने का प्रयास करता रहा है.
क्या पहलगाम हमला भारत-पाक संबंधों का टर्निंग पॉइंट बन सकता है?
इस हमले के बाद भारत-पाक के बीच रिश्तों में पूरी तरह से टूटन आ गई है. दोनों देशों के बीच संवाद लगभग ठप है और तनाव चरम पर है. इस स्थिति में कश्मीर मुद्दे को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने की कोशिश कूटनीतिक विवाद को और गहरा कर सकती है.