बीजेपी सांसद सतीश गौतम की मुश्किलें बढ़ीं, शैक्षिक जानकारी छिपाने के मामले में होगी सुनवाई…

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यूपी के अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया है. यह याचिका भ्रष्टाचार विरोधी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित केशव देव गौतम द्वारा दायर की गई थी. मामला 2024 के संसदीय चुनावों के दौरान सांसद सतीश गौतम द्वारा दाखिल किए गए नामांकन पत्र से जुड़ा है, जिसमें उनकी शैक्षिक योग्यता का विवरण स्पष्ट रूप से नहीं दर्शाया गया था.

दरअसल पूरा मामला 2024 के लोकसभा चुनावों का है जहां अलीगढ़ संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी सतीश गौतम ने नामांकन दाखिल किया था. नामांकन पत्र भरते समय हर प्रत्याशी को अपनी शैक्षिक योग्यता, आपराधिक मामलों, संपत्ति और देनदारियों की जानकारी देनी होती है. याचिकाकर्ता ने सतीश गौतम पर शैक्षिक योग्यता की जानकारी को छिपाने का आरोप लगाया है.

नामांकन में शैक्षिक जानकारी छिपाने का आरोप
पंडित केशव देव गौतम ने मांग की कि सांसद द्वारा प्रस्तुत नामांकन पत्र की पुनः जांच की जाए और यदि उसमें कोई भी त्रुटि या गड़बड़ी पाई जाती है तो उसके आधार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए. याचिका में यह भी कहा गया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहनी चाहिए. यदि कोई प्रत्याशी जानबूझकर कोई महत्वपूर्ण जानकारी छिपाता है तो उसे चुनावी प्रक्रिया में शामिल होने का अधिकार नहीं होना चाहिए.

 

 

 

एमपी-एमएलए कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई योग्य माना और कई सुनवाई की तारीखों के बाद इस पर कार्यवाही शुरू करने का निर्णय लिया. अदालत ने कहा कि चूंकि मामला एक निर्वाचित प्रतिनिधि से संबंधित है और इसमें चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए हैं, इसलिए यह एक गंभीर विषय है और इस पर उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी. अगली सुनवाई 10 अप्रैल को निर्धारित की गई है, जिसमें इस मामले से जुड़े अन्य तथ्यों और साक्ष्यों पर चर्चा की जाएगी.

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि द्वारा अपने नामांकन पत्र में कोई गलत जानकारी दी जाती है या किसी जानकारी को छिपाया जाता है, तो यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत एक गंभीर अपराध माना जाता है. अगर अदालत यह पाती है कि सांसद सतीश गौतम ने जानबूझकर अपनी शैक्षिक योग्यता को छिपाया है, तो उनके खिलाफ चुनाव आयोग भी कार्रवाई कर सकता है। इसके अलावा, अगर यह साबित होता है कि यह गलती जानबूझकर की गई थी, तो उनकी सांसद सदस्यता भी रद्द हो सकती है.

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