‘छत्रपति शिवाजी महाराज की चिता में वाघ्या कुत्ता…’, हिंदूवादी नेता संभाजी भिडे का बड़ा दावा…

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महाराष्ट्र के पूर्व राज्यसभा सांसद और कोल्हापुर के शाही परिवार के वंशज संभाजीराजे छत्रपति (Sambhajiraje Chhatrapati) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) से रायगढ़ किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मारक के पास बने कुत्ते के स्मारक को हटाने की मांग की है. इसके बाद से प्रदेश में सियासी चर्चा तेज हो गई है. इस बीच अब हिंदूवादी नेता संभाजी भिडे ने संभाजीराजे की मांग का विरोध किया है.

एबीपी माझा के मुताबिक, हिंदुत्व नेता संभाजी भिडे ने बुधवार को दावा किया, ‘संभाजीराजे भोसले जो कह रहे हैं वह गलत है. वाघ्या कुत्ते की कहानी सच है. वाघ्या छत्रपति शिवाजी महाराज की चिता में कूद गया था. यह मूर्ति यह दिखाने के लिए आवश्यक है कि उस समय लोग कुत्तों की तरह वफादार नहीं थे.’

 

 

 

ऐतिहासिक प्रमाण या लिखित दस्तावेज नहीं- संभाजीराजे
दरअसल, 22 मार्च को लिखे गए एक पत्र में संभाजीराजे ने सीएम फडणवीस से इस स्मारक को 31 मई से पहले हटाने की अपील की है. उन्होंने कहा, “कुछ दशक पहले, रायगढ़ किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज के स्मारक के पास वाघ्या नामक कुत्ते का स्मारक बनाया गया था, जो उनके 17वीं सदी के शासनकाल की राजधानी थी.”

उन्होंने दावा किया कि शिवाजी महाराज के इस कथित पालतू कुत्ते वाघ्या के अस्तित्व को लेकर कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है. इस वजह से यह स्मारक कानूनी रूप से संरक्षित धरोहर स्थल पर अतिक्रमण के समान है. संभाजीराजे ने यह भी कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने साफ किया है कि वाघ्या के अस्तित्व को लेकर कोई ऐतिहासिक प्रमाण या लिखित दस्तावेज नहीं हैं. उन्होंने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए कहा कि यह महान शिवाजी महाराज की विरासत का अपमान है.

‘वाघ्या’ पर मतभेद
जानकारी के अनुसार, वाघ्या की वफादारी और बहादुरी की कहानी आज भी प्रसिद्ध हैं. कुछ लोग इसे शिवाजी महाराज की कथा का अभिन्न हिस्सा मानते हैं, जबकि अन्य इसे ऐतिहासिक रूप से अप्रमाणित बताते हैं. बताया जाता है कि वाघ्या एक मिश्रित नस्ल का कुत्ता था, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने पालतू बनाया था. कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मौत के बाद वाघ्या ने उनके अंतिम संस्कार के दौरान उनकी चिता में कूदकर खुद को जला लिया था.

इसी कारण रायगढ़ किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के पास में वाघ्या की प्रतिमा स्थापित की गई थी. हालांकि, 2011 में संभाजी ब्रिगेड के कथित सदस्यों ने विरोध स्वरूप वाघ्या की प्रतिमा को हटा दिया था, लेकिन बाद में इसे दोबारा स्थापित कर दिया गया.

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