डिजिटल ट्रांजैक्शन, टैक्सपेयर्स चार्टर, क्रिप्टो और टैक्स ईयर, जानें इनकम टैक्स बिल में क्या-क्या और बड़ी बातें…

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सरकार ने नए इनकम टैक्स बिल 2025 का ड्राफ्ट (New Income Tax Bill 2025 Draft) जारी कर दिया है, जिसे 13 जल्द ही संसद में पेश किए जाने की संभावना है. यह बिल टैक्स कानूनों की भाषा को आसान बनाने और उसकी प्रक्रियाओं को सरल करने के उद्देश्य से लाया गया है. सरकार की योजना है कि 1 अप्रैल 2026 से यह नया कानून लागू कर दिया जाए.

सीधे ‘टैक्स ईयर’ का होगा इस्तेमाल

नए इनकम टैक्स बिल में ‘असेसमेंट ईयर’ की जगह अब ‘टैक्स ईयर’ शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा. टैक्स इयर 12 महीने की अवधि होगी, जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलेगा. अगर कोई नया बिजनेस या पेशा शुरू किया जाता है, तो उसका टैक्स ईयर उसी तारीख से शुरू होगा और चालू फाइनेंशियल इयर के साथ खत्म होगा. यह बदलाव टैक्स रिपोर्टिंग को अधिक पारदर्शी और आसान बनाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

 

 

कानूनी भाषा को बनाया आसान

नए इनकम टैक्स बिल में कानूनी शब्दों को आसान और संक्षिप्त किया गया है. पुराने इनकम टैक्स एक्ट के 823 पन्नों की तुलना में नया बिल 622 पन्नों में तैयार किया गया है. हालांकि, इसमें चैप्टर्स की संख्या 23 ही रखी गई है, लेकिन सेक्शन की संख्या 298 से बढ़ाकर 536 कर दी गई है. शेड्यूल की संख्या भी 14 से बढ़ाकर 16 कर दी गई है. पुराने कानून में मौजूद जटिल स्पष्टीकरणों और प्रावधानों को हटा दिया गया है, जिससे इसे टैक्सपेयर्स के लिए समझना आसान होगा.

डिजिटल ट्रांजैक्शन और क्रिप्टो पर कड़े नियम

नए इनकम टैक्स बिल में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (जैसे क्रिप्टोकरेंसी) पर भी सख्त प्रावधान किए गए हैं. अब क्रिप्टो एसेट्स को अनडिस्क्लोज्ड इनकम के तहत गिना जाएगा, ठीक वैसे ही जैसे अभी नकदी, बुलियन और ज्वेलरी को शामिल किया जाता है. यह कदम डिजिटल लेन-देन को पारदर्शी बनाने और टैक्स चोरी रोकने के लिए उठाया गया है.

टैक्सपेयर्स चार्टर होगा शामिल

बिल में टैक्सपेयर्स चार्टर को भी शामिल किया गया है, जो टैक्स भरने वालों के अधिकारों की रक्षा करेगा और टैक्स प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाएगा. यह चार्टर, करदाताओं और कर अधिकारियों दोनों की जिम्मेदारियों और अधिकारों को स्पष्ट करेगा, जिससे टैक्स से जुड़े मामलों को हल करना आसान होगा.

कैसे बनेगा यह बिल कानून?

नए इनकम टैक्स बिल को पहले ही कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. अब इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा, जहां इसे एक स्थायी संसदीय समिति के पास भेजे जाने की संभावना है. संसदीय समिति की सिफारिशों के बाद, सरकार इसमें आवश्यक संशोधन कर सकती है. उसके बाद, यह बिल संसद में पास होने के लिए दोबारा पेश किया जाएगा और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद आधिकारिक कानून बन जाएगा.

लंबे समय से चल रही थी टैक्स सुधार की प्रक्रिया

सरकार पिछले कई वर्षों से इनकम टैक्स कानून को आसान बनाने की कोशिश कर रही थी. इसके लिए 2018 में एक टास्क फोर्स बनाई गई थी, जिसने 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंपी. इससे पहले, यूपीए सरकार ने 2009 में डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) पेश किया था, लेकिन वह संसद में पारित नहीं हो सका था. अब, इनकम टैक्स बिल 2025 को इस दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है, जिससे टैक्स सिस्टम अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बनेगा.

 

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