रायपुर/ परंपरागत मछुआरों के हित में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए निरंतर प्रयासों के अंतर्गत गुरुवार को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें देश में मत्स्य पालन की प्रगति और भावी योजनाओं की समीक्षा की गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को प्रोत्साहित करना और भारत के समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देना रहा। बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने मत्स्य पालन क्षेत्र की अपार संभावनाओं की चर्चा करते हुए इसे ग्रामीण आजीविका और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रमुख माध्यम बताया। भारत, जो वर्तमान में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, उसका वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8% योगदान है। ऐसे में इस क्षेत्र को और गति देने के लिए सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है। छत्तीसगढ़ धीवर समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री कृष्णा चंपालाल हिरवानी ने जानकारी देते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी सदैव धीवर, केवट, निषाद, मल्लाह, कहार, रायकवार, बाथम, भोई जैसे परंपरागत मछुआरा समुदायों के सच्चे हितैषी रहे हैं। 2014 से लेकर अब तक मछुआरों की शिक्षा, जीवनयापन और समग्र विकास हेतु अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनका लाभ अब देशभर के मछुआरे उठा रहे हैं।” हाल ही में मुंबई में 255 करोड़ रुपये की लागत वाली मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन भी इसी दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है। केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह द्वारा ‘कोस्टल स्टेट्स फिशरीज मीट: 2025’ के अवसर पर 7 तटीय राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए योजनाओं का शुभारंभ किया गया।
मंत्रालय की ओर से मरीन फिशरीज सेंसस, ऑपरेशन टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस प्रोजेक्ट, और वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम जैसे तकनीकी और पर्यावरण-संवेदनशील उपायों को लागू किया जा रहा है, जो मत्स्य पालन को सुरक्षित और टिकाऊ बनाएंगे। छत्तीसगढ़ के मछुआरा समाज ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इन प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया है और इस बात पर प्रसन्नता जताई कि पहली बार परंपरागत मछुआरा समुदाय की आवाज़ को राष्ट्रीय मंच पर इतनी मजबूती से सुना और समझा गया है। रायपुर। परंपरागत मछुआरों के हित में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए निरंतर प्रयासों के अंतर्गत गुरुवार को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें देश में मत्स्य पालन की प्रगति और भावी योजनाओं की समीक्षा की गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को प्रोत्साहित करना और भारत के समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देना रहा। बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने मत्स्य पालन क्षेत्र की अपार संभावनाओं की चर्चा करते हुए इसे ग्रामीण आजीविका और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रमुख माध्यम बताया। भारत, जो वर्तमान में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, उसका वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8% योगदान है। ऐसे में इस क्षेत्र को और गति देने के लिए सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है। छत्तीसगढ़ धीवर समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री कृष्णा चंपालाल हिरवानी ने जानकारी देते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी सदैव धीवर, केवट, निषाद, मल्लाह, कहार, रायकवार, बाथम, भोई जैसे परंपरागत मछुआरा समुदायों के सच्चे हितैषी रहे हैं। 2014 से लेकर अब तक मछुआरों की शिक्षा, जीवनयापन और समग्र विकास हेतु अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनका लाभ अब देशभर के मछुआरे उठा रहे हैं।” हाल ही में मुंबई में 255 करोड़ रुपये की लागत वाली मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन भी इसी दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है। केंद्रीय मत्स्य पालन मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह द्वारा ‘कोस्टल स्टेट्स फिशरीज मीट: 2025’ के अवसर पर 7 तटीय राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए योजनाओं का शुभारंभ किया गया। मंत्रालय की ओर से मरीन फिशरीज सेंसस, ऑपरेशन टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस प्रोजेक्ट, और वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम जैसे तकनीकी और पर्यावरण-संवेदनशील उपायों को लागू किया जा रहा है, जो मत्स्य पालन को सुरक्षित और टिकाऊ बनाएंगे। छत्तीसगढ़ के मछुआरा समाज ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इन प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया है और इस बात पर प्रसन्नता जताई कि पहली बार परंपरागत मछुआरा समुदाय की आवाज़ को राष्ट्रीय मंच पर इतनी मजबूती से सुना और समझा गया है।