फर्स्ट जनरेशन लॉयर हैं सुप्रीम कोर्ट के एक तिहाई जज, जानें किनकी फैमिली में आम है ये प्रोफेशन…

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया 13 मई को रिटायर होने के बाद अब जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले चुके हैं और अपना पदभार संभाल चुके हैं. जस्टिस गवई उस पहली पीढ़ी के वकील हैं, जिनको विरासत में कोई कानूनी पेशा नहीं मिला है, लेकिन वे न्यायपालिका के सर्वोच्च् पद तक पहुंचे. ऐसे में जस्टिस गवई का यह पद ग्रहण करना न सिर्फ प्रशासनिक बदलाव की शुरुआत है, बल्कि नई कहानी की शुरुआत भी है.

जस्टिस गवई फर्स्ट जेनरेशन लॉयर

हिंदुस्तान टाइम्स की मानें तो जस्टिस गवई देश के उन न्यायधीशों में से एक हैं जो कि अपने परिवार में पहली पीढ़ी के वकील हैं. यानि कि इनसे पहले इनके परिवार में कोई भी कानूनी पेशे में या वकील नहीं रहा है. अभी तक 51 में छह सीजेआई या तो पिता-पुत्र रहे हैं, या फिर वे चाचा-भतीजा रहे हैं. ऐसे जजों की संख्या जिनका एक-दूसरे से पारिवारिक रिश्ता रहा है, उनकी संख्या 279 रही है और ये 16 जो़ड़े हैं. इनमें से सिर्फ एक तिहाई जज ही ऐसे रहे हैं, जो कि फर्स्ट जेनरेशन लॉयर्स हैं. ये जो आंकड़े हैं ये एक दिलचस्प दृश्य दिखाता है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज एक बहुत छोटे समूह का हिस्सा रहे हैं. इतना ही नहीं 51 पूर्व सीजेआई में से छह ऐसे रहें, जिनके रिश्तेदार सर्वोच्च पर पर रह चुके हैं.

 

 

मायने रखता है पारिवारिक संपर्क

यह दर्शाता है कि भारतीय न्यायपालिका में एक नेटवर्क इकोसिस्टम है, जहां कानूनी ज्ञान के साथ-साथ पारिवारिक संपर्क भी मायने रखता है. सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान और पिछले न्यायाधीशों की सूची भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट से ली गई है. इस लिस्ट में वे न्यायाधीश शामिल हैं जो सर्वोच्च न्यायालय में सेवा दे चुके हैं और वे या तो पिता-पुत्र, चाचा-भतीजा, ससुर-दामाद, दादा-पोते या पिता-पुत्री की जोड़ी हैं. इस सूची में 11 न्यायाधीश सी.जे.आई. के रूप में सेवा दे चुके हैं, और यह संख्या बढ़कर 12 (6 जोड़े) हो जाएगी जब न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना, जो 2027 में सी.जे.आई. बनने की कतार में हैं, वो पदभार ग्रहण करेंगे.

संजीव खन्ना भी न्यायिक वंशावलि का हिस्सा

रिटायर हो चुके जज संजीव खन्ना भी न्यायिक वंशावलि से जुड़े हुए हैं, उनके चाचा हंसराज खन्ना इमरजेंसी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जज थे. भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज में से एक तिहाई ऐसे वकील हैं , जो कि पहले जेनरेशन के हैं. हालांकि सीजेआई के मामले में यह अनुपात थोड़ा ज्यादा है. जहां 51 में से 17 फर्स्ट जेनरेशन लॉयर रहे हैं. ज्यादातर अगली जेनरेशन के लॉयर्स को लॉ की प्रैक्टिस विरासत की तरह मिलती है और इसमें लीगल बैकग्राउंड होना उनके लिए लाभदायक माना जाता है.

 

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